सकारात्मक क्रांति Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

सकारात्मक क्रांति

सकारात्मक क्रांति


मन को नहीं मिलेगी शांति
यदि आपको रहती है भ्रान्ति
"आप सर्वेसर्वा है"
पर साथ में अभिमानी भी है।

हमने मृदुभाषी और मितभाषी रहना है
सभी लोग हमारे भाईबहन है
हमारा वर्ताव ऐसा हो
जिसे कोई भी प्रकार का खटराग ना हो।

मानवता सन्मान हो
करुणा का दर्शन हो
सभी के सामान वर्तन
हाथ जोड़कर करो नमन।

COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 13 December 2017

सभी के सामान वर्तन हाथ जोड़कर करो नमन।

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Mehta Hasmukh Amathaal

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Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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