कितनी मोहब्बत है Poem by Anita Sharma

कितनी मोहब्बत है

कितनी मोहब्बत है मुझसे बताओ मुझे
हैरान सा कर दिया था मुझे उनके सवालों ने
मुझे एहसास है आपका मगर गॅरंटी कैसे दूँ,
मुझे अपनी साँसों का नहीं पता
आखरी सांस तक की वो कहते कहते रुक से गए थे
पता नहीं मेरा दिल घबराता है
इकठे नहीं रह पाएंगे जुदा हो जायेंगे
ऐसे ही ख्याल आते हैं आजकल
बड़ी बड़ी समंदर सी गहरी आँखों में एक ख़ामोशी सी और बेकरारी भी थी
कितनी मोहब्बत है बताओ मुझे,
बताओ मुझे आज मुझे सुनना है सब कुछ
बच्चों की तरह ज़िद करने लगे हैं आप आजकल,
बताओ कितनी मोहब्बत है! !

कितनी मोहब्बत है
Friday, January 5, 2018
Topic(s) of this poem: loneliness,love and dreams
POET'S NOTES ABOUT THE POEM
मुझे एहसास है आपका मगर गॅरंटी कैसे दूँ,
मुझे अपनी साँसों का नहीं पता
आखरी सांस तक की वो कहते कहते रुक से गए थे
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