एक अजीब सी खुशी का राज़ हो तुम
एक सुन्दर एहसास हो तुम
तुम्हारी निर्मल छाया में,
भूल गयी तन-मन-धन सब|
तुम्हारी प्रेम सरिता में,
पाया मैंने जीवन का हर सार|
क्योंकि...
एक अजीब सी खुशी का राज़ हो तुम
एक सुन्दर एहसास हो तुम
हाथ थामा तुम्हारा मैंने,
रखते ही कदम इस जहां में|
तुम्हारी ही छत्र-छाया में,
सीखा जीवन का हर ज्ञान|
क्योंकि...
एक अजीब सी खुशी का राज़ हो तुम
एक सुन्दर एहसास हो तुम
खुशियाँ बांटी तुमसे मैंने,
बांटा हर गम भी तुमसे|
तुम्हारे ही सीखों पे चलके,
पाया मैंने जीवन का हर लक्ष
क्योंकि...
एक अजीब सी खुशी का राज़ हो तुम
एक सुन्दर एहसास हो तुम
तुमसे ही जीवन है मेरा,
तुमसे ही सारी खुशियाँ|
दिन भी है तुमसे जीवन की, रातें भी हैं तुमसे ही|
क्योंकि माँ...
एक अजीब सी खुशी का राज़ हो तुम
एक सुन्दर एहसास हो तुम
-१०/०१/२०१२
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem