रात को हमने अपना हमसफ़र बनाया है,
क्यूंकि नींद से नाता हमारा पुराना है|
न जाने कैसे कट जाते है वो पल तिमिर स्थिरता के,
और चली आती है मधुर ध्वनि उदय मुरली की|
न जाने रात के बाद सवेरा आता क्यों है,
क्यों बिछड़ जाता है हमसे हमारा हमसफ़र?
रात को हमने अपना हमसफ़र बनाया है,
क्योंकि नींद से हमारा नाता पुराना है|
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