हम बस उनके एक बनाए हुए हैं, Poem by Dr. Navin Kumar Upadhyay

हम बस उनके एक बनाए हुए हैं,

हम बस उनके एक बनाए हुए हैं,
पलक काजल बीच छिपाए हुए हैं,
मेरे कपोलों की ओर न देखना कभी,
उनके ही दन्तक्षत लिपटाए हुए हैं।।

केशों बीच उनने बहुत जोर बाँधा,
एकटक नयन कोर से निशाना साधा,
कहीं भी न आई उनको तनिक बाधा,
अब वे सीने से मिला लिपटाए हुए हैं।।

बाहों का हार पहनाया है आज उनने,
अब देते किसी से नहीं अब मिलने,
कहते, मिले रहो बस अब मेरे सीने,
"नवीन"मेरेअधर होठ से दबाए हुए हैं।।

Sunday, April 22, 2018
Topic(s) of this poem: love
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