उम्मीद के झरने Poem by Anita Sharma

उम्मीद के झरने

कभी बादल, कभी बारिश,
कभी सुर्ख गुलाब
कभी उम्मीद के झरने,
कभी घनेजंगल, कभी ऊँचे देओर
कभी बचपन कभी जवानी
दीवानगी, मोहब्बत
तेरे हाथों की छुअन
गर्मी ठंडक, जलन
मस्ती, घुंघरूकीछनक
धूपसा उजाला
सांबला रंग, सुरीले गीत
भीगें तेरी बारिश में हम
अपने ही सुलगते हुए ख्वाबों में
तेरे अहसास ने छू कर मुझे क्या-क्या बना डाला.

उम्मीद के झरने
Monday, August 13, 2018
Topic(s) of this poem: dreaming,love and dreams,romance
POET'S NOTES ABOUT THE POEM
भीगें तेरी बारिश में हम
अपने ही सुलगते हुए ख्वाबों में
तेरे अहसास ने छू कर मुझे क्या-क्या बना डाला.
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