आभार Poem by Sharad Bhatia

आभार

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आभार

आभार कैसे व्यक्त करूँ,
अपने ज़ज्बात कैसे व्यक्त करूँ।।

आपने मुझ जैसे "तुच्छ" को अपने सीने से लगाया,
यह प्यारा सा एहसास कैसे व्यक्त करूँ ।।

जानता हूँ, मैं इस लायक नहीं,
पर आपने मुझ "नालायक" को इस लायक समझा,
यह भाव कैसे व्यक्त करूँ।।

देखों, आज मैं कितना गौरवांवित महसूस कर रहा हूँ,
कि कविता के शिकारी के "सरताज" ने मुझे कितना प्यारा उपहार दिया।।
एक प्यारा सा आशीर्वाद और मेरे सिर पर अपना प्यारा सा हाथ जो रख दिया,
यह स्पर्शशान कैसे व्यक्त करूँ ।।

आज तो शब्द भी घबरा रहे हैं,
कुछ कहने से पहले कंपकंपा रहे हैं।।
कि, मुझे मेरी औकात से ज्यादा दे दिया, .
मैने सोचा भी ना था, इतना मान सम्मान दे दिया।।

अब क्या मांगू रब से, .
आपने पूरा "जहाँ" मुझे उपहार मे दे दिया।।

मुझ नादाँ मे इतनी समझ नहीं हैं कैसे आभार व्यक्त करूँ,
मेरी औकात ही नहीं, कि मैं अपने ईश्वर को कोई टिप्पणी या कोई अंक भी देसकूँ।।



एक प्यारा सा एहसास मेरी नन्ही कलम से - "गुरुजी डॉ. जाड़ीआहसमुख" तथा गुरुजी "रजनीशमाँगा" जी के चरणों मे...! ! !
(आपका छोटा सा शिष्य - शरद भाटिया)

आभार
Wednesday, August 5, 2020
Topic(s) of this poem: emotion,feeling,gratitude,thankfulness
POET'S NOTES ABOUT THE POEM
This poem is dedicated to allpoemhunter Respected seniors and all mylovely fellow friends.

Thank you so much for being a part of my life to all those who supported me directly and indirectly and boosted my morale.
COMMENTS OF THE POEM
Dr Dillip K Swain 27 August 2020

Blessings from seniors play a great role in making a complete and contented life. The poet unfolds the things that emanate from inner recesses of the heart. An endearing piece of work! Top score.

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Rajnish Manga 05 August 2020

आपके प्यार भरे उदगार के लिए हार्दिक धन्यवाद. आप इतना सम्मान देते हैं यह आपका बढ़प्पन है. हम सब इस मंच के समानधर्मा साथी हैं जिन्हें उनका कविता प्रेम व साहित्यिक अभिरुचि एक सूत्र में बांधती है. मैं मानता हूँ कि आप बहुत अच्छा लिख रहे हैं. मेरी बहुत बहुत शुभकामनायें.

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Varsha M 05 August 2020

Savinay abhinandan, Aapne poemhunter me guru shishya ka vinamr bhav seekhna aur seekhane ka ek naya daur shuru kar diya hai. Bahut bahut aabhar.

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