` मेघालय ` Poem by Pallab Chaudhury

` मेघालय `

Rating: 5.0

चुपचाप रह नहीं सकते ये बादल;
पहेलियों का जाल बिछा कर रखता है
पेड़ और डालियों पर; सिलोलाइड पर
फंसा हुआ जैसे रिलवांग …

शबनम, धूप और बारिश का
आना-जाना लगा रहता है इस घर पर;
पास से भी निकला
तुम्हारे चलने का रास्ता!

तुम तो तुम्हीं हो जिसका नाम लेते ही
पहाड़ के आंचल पर बारिश गिरने लगता;
और बारिश रुकते ही पाइन-डालियों पर
सुख- लावण्य दिखाई देता;

दूरी पर खो गया टेड़ा मेड़ा रास्ता
और हेयर-पिन- बेंड; शीत-चादर उड़कर
बैठी हूँ मैं- एक पहाड़ी कन्या

सामने है धूसर आसमान
सिर्फ़ मेरा…


Translated: 30th Dec 2020.





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