उत्तम बोल
मंगलवार, ६ अप्रैल २०२१
मुझे नहीं मालुम
क्या होता है मरहम?
जिसे मिट जाता है गम
ख़ुशी आ जाती है हरदम।
दो शब्द प्रेम से बोलो
और प्रेम का दरवाजा खोलो
शहद और प्यार जिसे टपकता हो
दर्शन मानवता का कराता हो।
नहीं है इसका कोई मोल
बस बोलो अच्छे बोल
दो प्यार भरे शब्द जबान से निकले
बस दुसरे का मन हर ले।
जखम तो मिट जाएगा
पर कभी नहीं भूल पाएगा
वो आत्मघाती बोले गए वेण
जैसे जहर दे गए साप के फ़ेण।
बोल से जहर बन जाती जिंदगी
बोल से संवर जाती सादगी
मानो तो है बंदगी
नहीं तो रह जाएगी आवारगी।
बोल ही उत्कृष्ट
बोल ही श्रेष्ठ
सब हो जाएगा नष्ट यहाँ
जबान से मिल जाएगा सारा जहाँ
डॉ हसमुख मेहता
POET'S NOTES ABOUT THE POEM
बोल ही उत्कृष्ट बोल ही श्रेष्ठ सब हो जाएगा नष्ट यहाँ जबान से मिल जाएगा सारा जहाँ डॉ हसमुख मेहता