सो जाते हो जब तुम, सितारे सोचने लगते हैं, Poem by Dr. Navin Kumar Upadhyay

सो जाते हो जब तुम, सितारे सोचने लगते हैं,

सो जाते हो जब तुम, सितारे सोचने लगते हैं,
आखिर नींद जहांपनाह के कब खुलते हैं,
हम भी देख रहे राह, कब तेरी आँखें खुलें,
मौका जब भी मिले, तब उनकी अधरें खिलें।

Tuesday, December 25, 2018
Topic(s) of this poem: love
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