नहीं हो सकता ~ Poem by M. Asim Nehal

नहीं हो सकता ~

Rating: 5.0

ये जो टूटे टूटे से हैं जो, ये ख़्वाब नहीं हो सकता,
ये जो बिखरे बिखरे से हैं जो, ये जज़्बात नहीं हो सकता

वक़्त के परों पर जो उड़ रही है ज़िन्दगी,
उस ज़िन्दगी का कोई कर्ज़दार नहीं हो सकता

बहुत मयस्सर हुई हैं जिन्हे तकलीफें, ठोकर खाने के बाद
वो किसी खुशियों का मुहताज नहीं हो सकता

बहुत हो चूका सफर और बहुत हो चुकी तलाश
जो मिल गया है हमको उससे अब बेज़्ज़र नहीं हो सकता

तेरी ज़मीन पर कितने नक़्शे-प् बनानेवाले आये और गए
किसी के क़दमों के निशान बाक़ी रह जाये ऐसा ग़ज़ब नहीं हो सकता

COMMENTS OF THE POEM
Varsha M 16 June 2021

Teekhi chuuri hai aaj ke nazm. Lajawab.

2 0 Reply
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success