दिल की बस यही तमन्ना थी, अब लब पर
आ ही गई है
होठ कुछ कहे या न कहे इशारे सब कुछ
समझा ही गई है
तुमने कहा था की सिर्फ ये दोस्त है मेरा
समंदर अब तो साहिल से टकरा ही गई है
मैं वादे पे कायम हूँ, तुझे वादों पे कायम रहना था
कहाँ गई वो कसमे जिसमें संग जीना और मरना था
तुम ये मत कहो कि अभी भी मै जान हूँ तेरी
तेरी बेवफ़ाई की खुशबू तुम्हारे इशारे से अब आ ही गई है
मत फरियाद करो मुझसे ना मुझे याद करो तुम
प्यार अगर फिर से हो गया तो मर ही जायेंगे हम
वफ़ा जिन्दा है कही तो उसे दफ़न कर देंगे हम
अगर फिर से जन्म लेंगे तो तुम्हारी कसम
प्यार कभी ना करेंगे हम
~विकास कुमार गिरि
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