दुनिया में होते है ये सबसे महान
जिसकी करते है सभी गुणगान
'गुरु विश्वामित्र, बशिष्ठ, अत्रि'
जिसको पूजते स्वयं भगवान
जैसे सूरज आकर करता है अंधकार को दूर
उसी तरह ये भी हर किसी के जिंदगी में आकर ज्ञान की प्रकाश को फैलाते भरपूर
इनमे कोई नहीं होती है लालसा
ये बस इतना चाहे की मेरा शिष्य हो सबसे अच्छा
अधर्म, अनीति गलत कर्मो से रहे हमेशा दूर
जीवन के पथ पर कभी न हो मेरा शिष्य मजबूर
इनकी एक ही इच्छा शिष्य मेरा पढ़-लिख कर बने महान
देश-विदेश में मेरे द्वारा दिए गए फैलाये वो ज्ञान
ऐसे गुरु को शत शत प्रणाम
~ विकास कुमार गिरि
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