मिले जो भी बरसात के मौसम की तरह,
चार दिन की चाँदनी की तरह चमकते चल दिये,
तुम आ गए हो तो निभा दो जीवन भर,
वरना हम जिंदगी भर बेचारे रह गए।
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem