मिले जो भी बरसात के मौसम की तरह, Poem by Dr. Navin Kumar Upadhyay

मिले जो भी बरसात के मौसम की तरह,

मिले जो भी बरसात के मौसम की तरह,
चार दिन की चाँदनी की तरह चमकते चल दिये,
तुम आ गए हो तो निभा दो जीवन भर,
वरना हम जिंदगी भर बेचारे रह गए।

Wednesday, November 21, 2018
Topic(s) of this poem: love
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