तुमने जो दिया है Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

तुमने जो दिया है

तुमने जो दिया है
Tuesday, October 26,2021
5: 36 AM
तुमने जो दिया है
उसका मुझे गुमान है
मान है
साथ मे स्वमान भी है।
मेरा है यही स्वभाव
वही हावभाव
नहीं कोई मनमुटाव
और नाही कोई बदलाव।
मनुष्य जीवन है
आशाए सजीवन करना है
प्रगति की ओर बढ़ना भी है
बड़े बड़े पहाड़ चढना भी है।
एक बात तो है
घनी रात भी है
सवेरा जरूर होगा
सपनों को साकार करेगा।
मन में नहीं है असमंजस
बंधाती रहती है ढाढ़स
फिर भी हवा का रुख
ला देता है मन में दुःख।
चलता रहेगा जीवनचक्र
नहीं हो कोई फ़िक्र
पर करना पड़ता है उसका जिक्र
रहना भी पड़ता है शुक्रगुजार।
कठिन तो है
पर नामुमकिन नहीं
हर राह को मुमकिन करना होगा
मुसीबत का सामना करना होगा।
Dr Hasmukh Mehta
D.Litt, Folt
World poet laureate
Copy right Hasmukh A Mehta

तुमने जो दिया है
POET'S NOTES ABOUT THE POEM
हर राह को मुमकिन करना होगा मुसीबत का सामना करना होगा। Dr Hasmukh Mehta D.Litt, Folt World poet laureate Copy right Hasmukh A Mehta
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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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