पतंगपंछीऔर मकर संक्रांति Poem by Pushpa P Parjiea

पतंगपंछीऔर मकर संक्रांति

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आईखिचारहाई कही देश के एककोने मेंकहते लोग इसे खिचारहाई

कहींकहते मकरसंक्रांति तो कहीं पतंगबाजी के लिएहोतीइसमें बेटियों की पहुनाई (मेहमान नवाज़ी)

अपनादेश का पश्चिम का भागजोहल्दी कुकू सेसुहागिनों का करतागोदभराई

बच्चे बूढ़ेखुशहो जाते जब बनती घर घर तिलकी मिठाई

कहीं चटकीतिल तो कहींगुड़ और मुरमुरे कीजम गई ऐसी मिठाई

जिसकी स्वादकी बाततो भैया खाये बिन न कहीजाए

पतंग कहींबसंती कहींलाल नीलीव पिली लहराईउमंगअनोखी दिखे हर मानवमेंकी

इस प्यारे से त्यौहारकी का रौनक हैहै भाई।.हमसे तो न कही जाए

किसी के हाथ पतंग सबके साथपतंग और कहींथालों में सजीहै मिठाई

सबजायेघर के ऊपर की छत पर औरहवामें सबकी है पतंग लहराईझूम उठेहै ख़ुशी सेमेरा मन

जबदेखु सबकोखुशऔर मगनखिचारहाई के संगतबन जाने कहाँ से एक बात है मेरेमनमें ैआई

रक्षा करियो हे ईश्वर तुमपतंगकी डोरसेइन पक्षियों की तो है बन आई

डर के मारे बहार न निकले वोअपने घरों से दाना कैसे चुगेंगेभूखे वो मर जायेंगे। बहार निकले तब तोउनकी गर्दन ही कटीजाएगी

बिनती इतनी करना चाहूँदिन है येपुण्य कमाने का भूल सेपंछी केलहूसेनख़ुशी नमनानावर्ना जीवन

भर पश्तावारह जायेगा

Thursday, January 10, 2019
Topic(s) of this poem: abc
POET'S NOTES ABOUT THE POEM
ABC
COMMENTS OF THE POEM
Rajnish Manga 12 January 2019

मकर संक्रांति पर्व की आपको बहुत बहुत शुभ कामनाएं. इस काविता के माध्यम से आपने इस त्यौहार से जुड़ीं परंपराओं का रोचक पर्चे दिया है. यह त्यौहार विभिन्न नामों से देश के अन्यान्य क्षेत्रों व प्रदेशों में अत्यंत उत्साह एवं उल्लास से मनाया जाता है. कई जगह इस अवसर पर बच्चे और बड़े पतंगें उड़ाते हैं. दुर्भाग्यवश, घातक डोर या मांझे से कई पक्षी बुरी तरह घायल हो जाते हैं. ख़ुशी का कोई त्यौहार किसी व्यक्ति या निरीह प्राणियों के लिए कष्ट का कारण नहीं बनना चाहिए. बहुत धन्यवाद बहन.

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Pushpa P Parjiea 05 February 2019

sabse pahle mafi chahti hun bhai aapke etane pyare comments ke late reply dene ke liye . ji bhai hamare harek tyohaar harshollas se bhare hote hain kintu aaj ke yug me aadhunik chizon ka istemal hone laga hai jeise ki patang ke manjhe ki rassi etani nukili hoti hai ki pakshiyon ke saar kat jate hain .. bahut bahut dhanywad bhaai aapne bade dhyan se meri is kavita ko padha or saraha bahut bahut aabhar bhai

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