ऐप्रिलफूल Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

ऐप्रिलफूल

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ऐप्रिलफूल
सोमवार, १ एप्रिल २०१९

मे अप्रैल फूल बन गया
लोगो ने मुझे उल्लू बना दिया
कहा आपका भाई हॉस्पिटल है
दौड़ो, अकस्मात् हुआ है।

मैं सरपट भागा
जल्दी से पहुंचा
इधर उधर पूछा
अपना पसीना और आंसू भी पोंछा।

नहीं मिला कोई सुराग
तुरंत आलापा राग
घर से पूछने की हिम्मत ठानी
उलटी घरवालों की डांट खाली।

पता नहीं तुझे!
क्यों है तेरे बारे बजे?
आज अप्रैल फूल है
तू बेवकूफ बन गया है।

मे तो खसिया सा गया
मानो खून रगो में थम गया
क्यों नहीं मेने बुद्धि का इस्तेमाल किया?
खामखा अपने को अक्कलहीन साबित कर दिया।

हसमुख मेहता

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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