एक जीव क्षेत्रज्ञ, द्रष्टा, श्रोता, घ्राता, रसयिता, विज्ञानात्मा है।
दूसरा आत्मा का आत्मा, सव^ज्ञ, सव^शक्ति मान सवा^न्तरात्मा है।।
जो देखता, सुनता, बोलता, स्वाद -आस्वादन करता है।
वह यह द्रष्टा, श्रोता, विज्ञानात्मात्मक जीव सुख दुख समाकुल रहता है।।
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