बस तुम मेरा साथ देना.. Poem by Sharad Bhatia

बस तुम मेरा साथ देना..

Rating: 5.0

बस तुम मेरा साथ देना

अगर जिंदगी देती ग़म हैं,
तो तुम साथ मेरा देना।।
बाँट लेगे ग़म थोड़ा - थोड़ा,
बस तुम साथ मेरा देना।।

कुछ आँसू मैं तुम्हारे पोछू,
कुछ आँसू तुम मेरे पोछना,
बस तुम मेरा साथ देना।।

अगर कभी जिंदगी "मैं" मे गिर जाऊँ,
तो मुझे सहारा देना,
बस तुम मेरा साथ देना ।।

जानता हूँ बहुत मुश्किलें आएगी,
तब तुम मेरा हाथ थाम लेना,
बस तुम मेरा साथ देना ।।

अगर कभी उलझती जिंदगी में "मैं" हिम्मत हारूँ,
तब तुम मुझे हिम्मत देना,
बस तुम मेरा साथ देना ।।

अपनी बंद आँखों मे मैने कुछ सुनहरे सपने संजोए,
बस तुम मेरा साथ देना ।।

अगर मैं कभी तुम पर गुस्सा करूँ,
तुम धीरे से अपना सिर मेरे सीने पर रख देना,
बस तुम मेरा साथ देना ।।

मेरी अधूरी जिंदगी को पूरी कर देना,
बस तुम मेरा साथ देना ।।

एक प्यारा सा एहसास मेरी नन्ही कलम से
(शरद भाटिया)

बस तुम मेरा साथ देना..
Monday, August 10, 2020
Topic(s) of this poem: dreams,love and life,relationships,support
POET'S NOTES ABOUT THE POEM
This verse is inspired by My PH friend Mohd. Asim MNehal saheb जी poem's "Incomplete story"
COMMENTS OF THE POEM
Varsha M 11 April 2021

Bahut behtareen rachana. Sundar sabdon se pero kar kamal ke phool ki pankhudiyon ke saman laye aur taal buna hai.

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