फ़ीवर Poem by Ajit Pal Singh Daia

फ़ीवर

कल से ही
कांप रही है
ठण्ड से ठिठुर कर
खांस रही है,
हल्का हल्का
तापमान भी है
मेरी नज़्म को.
प्रिया, बारिश में
नहाते वक्त
मेरी नज़्मों को
ना गुनगुनाया करो तुम.

Tuesday, May 20, 2014
Topic(s) of this poem: love
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