हम तो कभी सुँदर बन ही नहीं सकते,
तुम तो सुँदर को ही छू सकते,
बना लो न!
अपने मन के लायक,
कर लो श्रृँगार मेरा,
करो मत देर,
कहीं हो जाये न सबेरा!
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem