उठो लाल (एक बाल कविता) Poem by Sushil Kumar

उठो लाल (एक बाल कविता)

उठो लाल हो गया सबेरा।

चिड़ियों ने आँगन आ घेरा।

छटी रात की काली छाया।

हाकर ने अखवार गिराया।

उठकर आँख मलो मत बेटे।

चाय पियो मत लेटे-लेटे।

बुरी आदतें छोड़ो सारी।

बातें सीखो प्यारी-प्यारी।

सबके मन को भाओगे तुम।

जग में नाम कमाओगे तुम।

सभी गुणों की खान बनोगे।

गर अच्छे इंसान बनोगे।

COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Sushil Kumar

Sushil Kumar

Bulandshahr
Close
Error Success