एक मुक्तक Poem by Sushil Kumar

एक मुक्तक

घर को जलाने के बजाय किसी घर को बचाकर देखो।

कितना सकून मिलता है, यह भी आजमाकर देखो।

दर्द का एहसास तभी होगा जब जख्मी होगे,

मेरी मत मानो, चोट कलेजे पे खाकर देखो।।
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Sushil Kumar

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Bulandshahr
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