कौन सी तस्वीर 26.2.16—7.06 PM
हर पल तेरी तस्वीर बदलते देखी है
एक बार नहीं बार बार देखी है
एक पल तूँ प्यारी भोली भाली सी
दूजे पल मिर्ची गुलाल देखी है
तूँ मुस्कराये और फूल झरने लगें
दूजे पल सूखी टटाल देखी है
कभी अदा निराली और सुर्ख लाली
कभी शर्म से हुई लाल देखी है
कभी मतवाली और सिर्फ मतलब वाली
कभी रोती हुई जार जार देखी है
कभी हाँ कभी न का तमाशा देखा
कभी बहुत ही बेकरार देखी है
कभी देखे हैं होंठ सिले हुए
कभी बातूनी बेवाक देखी है
उमड़ जाये तो प्यार संभलता नहीं
कभी नफरते मजार देखी है
देखा है तुम्हें अपनी बाँहों में गिरते हुए
कभी नाक चढ़ी रिश्तेदार देखी है
कौन सी तस्वीर बनाऊँ तेरी
इसी उधेड़ बुन में उलझती बयार देखी है
हर पल तेरी तस्वीर बदलते देखी है
एक बार नहीं बार बार देखी है ……….
एक बार नहीं बार बार देखी है ……….
Poet; Amrit Pal Singh Gogia 'Pali'
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Wah wah bahut khoob.....