मैं जानता हूँ 26.4.16—6.31 AM
मैं ज्यादा कुछ तो नहीं
मगर इतना जरूर कहना चाहता हूँ कि
मैं जानता हूँ कि मैं तुमको बहुत प्यार करता हूँ
शायद तेरे जानने से कहीं ज्यादा
मैं जानता हूँ कि मैं तूँ बहुत हसीन है
शायद तेरे जानने से कहीं ज्यादा
मैं जानता हूँ कि मैंने तुमको बहुत चोट पहुँचाई है
शायद तेरे जानने से कहीं ज्यादा
मैं जानता हूँ कि मैंने बहुत गलतियाँ की हैं
शायद तेरे जानने से कहीं ज्यादा
मैं जानता हूँ कि मैंने तुमको कभी सुना ही नहीं
शायद तेरे जानने से कहीं ज्यादा
मैं जानता हूँ कि तुझपे कभी भरोसा किया ही नहीं
शायद तेरे जानने से कहीं ज्यादा
मैं जानता हूँ कि कामयाबी तेरे कदम चूमेगी
शायद तेरे जानने से कहीं ज्यादा
मैं जानता हूँ कि तूँ मुझे झुकता हुआ नहीं देख सकती
शायद तेरे जानने से कहीं ज्यादा
मैं जानता हूँ कि तुम भी मुझ से बहुत प्यार करती हो
शायद तेरे जानने से कहीं ज्यादा
मैं जानता हूँ कि तुम मुझपर बहुत भरोसा करती हो
शायद तेरे जानने से कहीं ज्यादा
मैं जानता हूँ कि तूँ मुझे कभी भी माफ़ नहीं करेगी
शायद तेरे जानने से कहीं ज्यादा
मैं जानता हूँ कि तूँ मुझसे फिर भी प्यार करेगी
शायद तेरे जानने से कहीं ज्यादा
आज मेरा समर्पण है तुझे ए जिंदगी
समर्पण जानता हूँ शायद तेरे जानने से कहीं ज्यादा
आज ये जानना भी छोड़ता हूँ ऐ मेरे जानेमन
छोड़ना भी जानता हूँ शायद तेरे जानने से कहीं ज्यादा
छोड़ दे न 'पाली' अब भी पकड़ बैठा है कि
'मैं जानता हूँ शायद तेरे जानने से कहीं ज्यादा'
आज एहसास हुआ जानने में ही सारे दुःख छिपे हैं
नहीं जानने में अम्बार छिपे हैं उनमें छिपा है सुख सारा
…………………………………..उनमें छिपा है सुख सारा
It is never ending story! I love you!
Poet: Amrit Pal Singh Gogia 'Pali'
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