यह कैसा सम्बन्ध है माँ 26.4.16—9.51 AM
मैं तो रोया था
गले लग जाने के लिए
आप ने छाती से लगाया
और दूध पिला दिया
यह कैसा सम्बन्ध है माँ
मेरे रोने का आप के दूध से
मैं तो मुस्कराया था कि मैं नंगा हूँ
आपने तो आलिंगन में ले लिया
चुम्बनों की बौछार ही लगा दी
यह कैसा सम्बन्ध है माँ
मेरी मुस्कराहट का आपके इज़हार से
मैं तो रूठ गया था कि
अब कभी बात भी नहीं करूँगा
आपने लाड लडाया मुझे मनाया
यह कैसा सम्बन्ध है माँ
मेरे रूठने का आपके लडाने का
मैं तो भूखा ही सो गया था
आपने उठाया और मुझे मनाया
खाना भी खिलाया और फिर सुलाया
यह कैसा सम्बन्ध है माँ
नींद से उठाकर खाना खिलाने का
मैं तो थका थका आया था
चेहरा बहुत मुरझाया था
आपका चेहरा क्यों मुस्कराया था
तरोताज़ा कर दिया आपकी मुस्कान ने
यह कैसा सम्बन्ध है माँ
मेरी थकान का और आपकी मुस्कान का
मैं तो भागा था आपके डर से
कि आप बहुत डांट लगाओगे
आपने लपक लिया
गले से ही लगा लिया
यह कैसा सम्बन्ध है माँ
मेरे डर का आपके गले लगाने से
यह कैसा सम्बन्ध है माँ…..
यह कैसा सम्बन्ध है माँ…..
Poet: Amrit Pal Singh Gogia 'Pali'
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