A-249 जिंदगी Poem by Amrit Pal Singh Gogia

A-249 जिंदगी

A-249 जिंदगी 3.3.17- 7.41 AM

जिंदगी कितनी संघर्ष शील है
हर किसी की अपनी दलील है
कोई ढूंढता है रास्ते आसां हों
कोई मुश्किलों संग जलील है

सारे मुकाम इरादों से जुड़े हैं
इरादों और संवादों से जुड़े हैं
इनमें कहीं भी विवाद नहीं है
नहीं है तो बस हंकार नहीं है

मजबूरी से रिश्ता तोड़ लिया है
उम्मीदों से रिश्ता जोड़ लिया है
इरादा तो उम्मीदों का सिला है
हर मुकाम भी इरादों से मिला है

न समझ मुझे कि मैं कमजोर हूँ
हिमायती मैं अदब का पुरजोर हूँ
छोटे और बड़े मुझे सभी मिले हैं
मौन को छोड़ संवादों में मिले हैं

जो अपने हैं वो भी अपने नहीं हैं
गर उनके सपने भी सपने नहीं हैं
उनके सपनों से मुझे पंख मिले हैं
उड़ान के कारण असंख्य मिले है

जब भी उनसे मेरा संवाद नहीं है
तो आपसी रिश्ता व प्यार नहीं है
जब कभी प्यार के फूल खिले हैं
वो सारे केवल संवादों के सिले हैं

संवाद करते नहीं हमें तो गरूर है
हुकूमत भी करनी सुनाना जरूर है
बिना संवाद सिर्फ अवसाद मिले हैं
संवाद के राज बिन फसाद मिले हैं

Poet: Amrit Pal Singh Gogia ‘Pali'

A-249 जिंदगी
Saturday, March 18, 2017
Topic(s) of this poem: friendship,love and dreams,motivational
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