A-275 जो जान गया 22.5.17- 7.56 PM
जो जान गया वो ये मान गया
अपनी सीमा को पहचान गया
सीमा के बाहर दिखता नहीं है
मन कपटी भी लिखता नहीं है
हम रुक जाते हैं पता होता है
हर जवाब मन में गढ़ा होता है
जिज्ञासा रखते तो ढूंड लेते हैं
मज़े की बात वह सूँघ लेते हैं
कुछ करने का संकल्प कर लें
अहमं की हर पीड़ा वो हर लें
हार जाना भी हार जाना नहीं है
मौका मिला उसे गवाँना नहीं है
गिरा नहीं तो क्या खाक उठेगा
उठ गया तो हर जवाब मिलेगा
गिरना ही सीढ़ी है चढ़ जाने की
मिलती दिशा आगे बढ़ जाने की
उठ जा अब न तू इंतज़ार कर
न कर नाटक न फरियाद कर
न कर नाटक न फरियाद कर
Poet: Amrit Pal Singh Gogia
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बहुत खूब. यहाँ ज़िंदगी की सच्चाई और सफलता के मंत्र को प्रस्तुत किया गया है: गिरा नहीं तो क्या खाक उठेगा / उठ गया तो हर जवाब मिलेगा गिरना ही सीढ़ी है चढ़ जाने की / मिलती दिशा आगे बढ़ जाने की