A-287 तेरे आने से 14.6.17- 6.16 PM
तेरे आने से क्यों फ़िज़ा महके
तेरे जाने से क्यों मलाल आए
तेरे आने से हुस्न शबाब खिले
तेरे जाने से क्यों सवाल आए
भड़के शबाब जब अदा बहके
वक़्त ठहरे उसमें उन्माद आए
हर फूल ख़ुशबू से उन्मुक्त हो
ज़र्रा ज़र्रा तक़दीर आज़माए
वक़्त ठहर गया ऐसा नहीं है
लिए बैठा एक तूफ़ान समाये
बस तेरा इन्तज़ार किए बैठा
होठों पर बेबसी है मुस्कराए
ज़िन्दगी तिलमिलायी बैठी है
तेरे क़दमों का कोई हज़ूम आए
तू बेतकल्लुफ़ मेरी ओर झुके
तेरा शर्माना तुमसे ही हार जाये
तेरे आने से क्यों फ़िज़ा महके
तेरे जाने से क्यों मलाल आए
तेरे आने से हुस्न शबाब खिले
तेरे जाने से क्यों सवाल आए
Poet: Amrit Pal Singh Gogia "Pali"
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