ध्वनि (प्रार्थना मुक्ति का द्वार) A Prayer Path Of Libration Poem by Anita Sharma

ध्वनि (प्रार्थना मुक्ति का द्वार) A Prayer Path Of Libration

Rating: 5.0

टन टन जैसे स्कूल में आधी छुट्टी
कल कल ध्वनि मानो बहता पानी
छं छं मानो बजती पायल
टिप टिप मानो बरसता पानी
सोयं सोयं मानो उन्माद पवन
छक छक सरपट दौड़ती रेलगाड़ी
घोड़ों की पद धव्नि
चीं चीं मानो पागल चील गीध,
ट्र्र्र्ररर ट्ररर बरसाती मेंढक
भीं भीं उड़ती मधूँखिएें
हीं हीं हास परिहास
धू धू कर जलती लाशें मानो मरघट्ट
उमड़ घूमड़ गरजते मेघ
कैसी उठी यह दिल में हूक
ना दिल में चैन ना आँखों में नींद
शनिदशा दिन बैठे बैठे यूँ उदास
अचानक कानो से गूँजती यह धवनियाँ कैसी
मानो मंदिर में बजती यह घंटियाँ
बारिश की बरसती बूँदें
कहीं दूर से आता शोरगुल
सांझ ढले गीद्डो की उम्म उम्म की ध्वनि
फिर अचानक शेर की दहाड़
गुस्से भरी हुंकार
साँप की फूँकार
प्यासी बहती पवन
कोयल की कूक
पापी पापीहे का रुदन
क्या हो गया है आज मुझे
क्यूँ सुनती यह ध्वनियाँ
मुझको याद दिलाती मानो मेरे जन्मों की कहानियाँ
फिर तेज़ उठा यह शोरगुल टनन्न्न्न्न
ओह कैसी यह मेरे कानो को चीरती
चर चर ध्वनि जैसे काठगोदाम
सिर में मानो हज़ारों घंटियाँ बज रही एकसाथ
नही नही बंद करो बंद करो यह सब
टॅन्न्नन्नन्नन्नन्नन्नन्न्न्न
विधवा की चीख पुकार मानो कोई धर्मयुध
कराहती रूहें मानो तरस रही मुक्ति को
हूँ हूँ हुंकार बहता लहू करुंण पुकार मानो कुरुक्षेत्र
शूध मंत्रोचार शंख ध्वनि ध्यानमगन कोई योगी मानो शंकर
धीर गंभीर मानो प्रभु नन्दीश्वर
छप्पनभोग खा प्रसस्न होते मानो श्री गणेश
तेज़ धार बलवान मानो कार्तिक
अशोक्वन से सुन्दर मानो अशोक सुंदरी
लाल लहू से शृंगार मानो मा काली की तलवार
शांत करुंण सफेद मानो मां दुर्गा
कमलपुष्प मानो पिता ब्रह्मा माँ स्रसवती
नागमणि मानो शेषनाग शैया पर विराजे नारायण
मां लक्ष्मी का रूप निहार मुस्कराते विष्णु
विशाल जल थल मानो क्षीर सागर
नन्हे पग घुँगरू कृशन कन्हाई
मर्यादा की डोर मानो राम
मोहनी तो राम प्रेयसी सीता
टॅन्न्नन्नन्नन्नन्नन्नन्नन्न्न्न
लाखों रनभेरियाँ एक साथ बज उठीं
हिमाल्या मानो चूर चूर हो गया
बचाओ बचाओ कोई तो आओ
त्राहि माम त्राहि माम
सूखता कंठ पसीने से तरबतर
रक्षा प्रभु रक्षा महादेव रक्षा
मेरे महादेव सती प्रिय
पार्वतीपति हिमाल्यपति त्राहि माम
ओह यह चीख पुकार घोर पीड़ा
भ्रत्रिप्रेम से जब पुकारा
दौड़ा आया भाई मेरा
आज नही है कोई उमीद जीने भर की
देखो यह सिर में कौंधता रक्त
सर सर दौड़ती नवज़
धडकन रुकी चर चर फटता शरीर
सब तो भाई भतीजो का
मेरा खाली हो चला संसार
माता पिता को कोटि प्रेम
सदा सदा के लिए हूँ मैं प्रेम ऋणी
हर जन्म आप हों मात पिता
बहने मानो सखियाँ,
एक ही ब्रिक्ष की डालियां
भाई तो मानो सच्चा मित्र
पवित्र स्नेह, निश्पाप आँखें
यह आँखें तुमको न्योछाबर मोहन
बलराम के अनुज आत्मा रूपी प्रेम
दो बदन एक रूह
एक पाती तेरे नाम सांबरे
बड़े निर्मोही हो सोचा था मैने
पर तुम आए दौड़े दौड़े
उसने कहा दिल सच्चा तो सुहागन
नेत्र ताकते ट्क्क ट्क्क
ना जाने कैसे कैसे विचार जनमते मरते सौ सौ बार
नही नही अभी तो बहुत है कर्तव्य निभाने को
वो दौड़ा दौड़ा आया मुझको गले लगाया
नही नही कुछ नही सब है पहले जैसा
हाँ सब पहले जैसा सुंदर हथेली
उगता सूरज निर्मल दिनचर्या
मुस्कराती आँखें
दुनिया नही छूटी देह सदेह है
जुड़ना होगा प्रार्थना से प्रभु को पाना
हज़ारों सूर्य उगते एक साथ
यह है शुभप्रभात
सहजता से प्रेम ने कान में कहा
आज स्वीकारो
शुभ हैं यह लक्ष्ण
माँगी जो थी तुमने महादेव से मुक्ति
आज से शुरू है मुक्ति यात्रा
काम क्रोध लोभ मोह अह्न्कार से माँगी मैने थी मुक्ति
ध्वनि है तोड़ती सब अवगुणो को
ड्रर कैसा अहम् के टूटने का
शुभ है यात्रा अहम् से मुक्ति की ओर
हाँ चाही थी मुक्ति मैने सदा सदा से
हज़ारों जन्मो से त्डपति प्यासी आत्मा
जन्मो से अह्न्कार में लिपटी देह
काम से उन्माद
भारी भरकम रोम रोम मेरा
क्रोध से दह्क्ति आँखें
लोभ से भरी हर आह
मोहमाया में लिपटी साँस
मुक्ति प्रभु मुक्ति
आँखों से बहते आँसू
दिल भरा भरा सा
आज मेरे आँसू नही है थमते
अनायास बहते बहते
शायद बनके प्रार्थना प्रभु आप तक पहुँचे
मुझे स्वीकार करो प्रभु
जन्म जन्म के पापों से मुक्ति दो
काम को जैसे किया था भसम जलाकर
मेरे पापों से भी मुक्ति दो
नेत्र खोलो प्रभु जला दो मेरे
जन्म जन्म के पापों को
यही है विनती मेरी
अनन्य भक्ति का वरदान दो मुझको
सांसो के हवणकुंड में
अपने अहम् की दूं आहुति
भस्म हो तुम्हारे अंग की बनू बिभूति

ध्वनि (प्रार्थना मुक्ति का द्वार)   A Prayer Path Of Libration
Monday, January 11, 2016
Topic(s) of this poem: sadness,freedom,grief,liberation,life,love and dreams
POET'S NOTES ABOUT THE POEM
कानों में गूँजती ध्वनि कभी संगीत तो कभी सदूर कूकती कोयल, आँखों से बहते झर झर आँसू
महादेव मेरे ईष्ट देव महादेव के श्री चरणोंमें मेरी आत्मा की गहराइयों से प्रार्थना के कुछ स्वर गूँजे, जिनको शब्दों का रूप देने की कोशिश की, महादेव सबकी रक्षा करें, ओम नमो शिवाय
COMMENTS OF THE POEM
Abdulrazak Aralimatti 25 January 2016

Verily, a lovely prayer for the attainment of salvation

1 0 Reply
Kumarmani Mahakul 11 January 2016

Drops of rain water gives amazing sound on blowing wind to express this marvelous prayer poem straightly expressed form nice mind and heart. The sound of sweet song or the sweet voice of cuckoo. Very interesting sharing done definitely.10

2 0 Reply
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