आदत पुरानी....Aadat Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

आदत पुरानी....Aadat

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आदत पुरानी
शनिवार, २४ नवम्बर २०१८

आदत मेरी पुरानी है
सब के दिल को भाती है
सब कहते, उनको सुहाती है
हर बात उनकी सयानी होती है।

नहीं केहता किसी को में बुरा
हर दम लगता उनको में अपना
दिल से कभी ना ऐसा कहता
फिर बोझ उसीका सहते रहता।

अपने मन को शांत रखता
बातबात में दिल ना दुखता
उनकी बातों से बुरा तो लगता
मिल जाता रास्ते में यदि तो गले लगाता।

मेरे दोस्त सभी सयाने है
नए भी है और पुराने भी है
साथ मे पढ़े और पहचानते भी है
मस्ती में सभी रह लेते है।

उदार दिल के और राजा
मिलता सबक को सुख और मजा
ना देखो तो मन में सजा है
ना कोई और बात से मन दुखा है।

हसमुख मेहता

आदत पुरानी....Aadat
Saturday, November 24, 2018
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 24 November 2018

उदार दिल के और राजा मिलता सबक को सुख और मजा ना देखो तो मन में सजा है ना कोई और बात से मन दुखा है। हसमुख मेहता

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Mehta Hasmukh Amathaal

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Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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