आधार... Aadhar Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

आधार... Aadhar

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आधार
शुक्रवार, ५ अक्टूबर २०१८

रहा सहा आधार भी चला गया
एक ही कमानेवाला छोड़कर चला गया
प्रभु को यही मंजूर थी तक़दीर
कोई भी देख सकता है हमारी तस्वीर।

हमारे दुःख के भाव
स्पष्ट रूप से अंकित है
रेखाएं बयान करती है हमारी कहानी
आप भी ना करना अनसुनी।

हमें महेनत तो करनी होगी
दुनिया के साथ प्रगति करनी होगी
बाधाए आ भी जाए तो हिम्मत दिखानी होगी
दुनिया की हर मुसीबत को झेलनी होगी।

हम इंसान है और तकलीफे तो आएगी
हम सब को तंग करेगी और रुलाएगी
दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं होगी
हर कदम पर हमारी दुर्बलता ही दिखाएगी।

जीवन के भंवर से बाहर निकलना है
सफल होकर सबको दिखाना है
कुदरत का कालचक्र तो चलता रहेगा
बुरा वक्त आया है तो जाता भी रहेगा।

हसमुख अमथालाल मेहता

आधार... Aadhar
Friday, October 5, 2018
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Rekha Samantha 05 October 2018

An excellent poem..... very nice photography.

0 0 Reply
Mehta Hasmukh Amathalal 05 October 2018

जीवन के भंवर से बाहर निकलना है सफल होकर सबको दिखाना है कुदरत का कालचक्र तो चलता रहेगा बुरा वक्त आया है तो जाता भी रहेगा। हसमुख अमथालाल मेहता

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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