आमूल परिवर्तन Aamul Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

आमूल परिवर्तन Aamul

आमूल परिवर्तन

आमूल परिवर्तन को
हमारा पूरा समर्थन हो
हम चाहेंगे उनका उत्थान
हर व्यक्तिका हो पूरा सन्मान

परिवर्तन कुदरत का उपक्रम है
जो हमारी सूचि में अग्रिम है
हम चाहते है हमारा विकास हो
हर इंसान को इसका एहसास हो।

मिले सब को मौका अपने को आगे बढाने का
सब के साथ शांति ओर अपनेपन से रहने का।
परवर्तन सिर्फ बाहर का ही नहीं
अपने आप में भी इसका हो चयन सही।

अब तक आप सहिष्णु नहीं
दयाका भाव अणु अणु में नहीं
दूसरे की प्रति अनुकम्पा का एहसास नहीं
परिवर्तन की भावना अपने आप में कभी आती ही नहीं।

जब में काबिल ही नहीं
साबित कर नहीं सकता सही
फिर कैसे सोच सकता हूँ?
दुनिया को कैसे समझ सकता हूँ।

परिवर्तन लाजमी भी है
इंसान को अपने आप तैयार भी करना है
अपनी जरुरत को कम से कम रखना है
सुख को ज्यादा एहमियत देना है।

आमूल परिवर्तन Aamul
Wednesday, July 19, 2017
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM

Bijendra Singh Tyagi Very very beautiful poem. Congratulations Like · Reply · 1 · 6 hrs

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welcome bijendra singh tyagi

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welcome kumar hindu Like · Reply · 1 · Just now Manage

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welcoem aman pandey Like · Reply · 1 · Just now

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परिवर्तन लाजमी भी है इंसान को अपने आप तैयार भी करना है अपनी जरुरत को कम से कम रखना है सुख को ज्यादा एहमियत देना है।

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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