आप थोड़ा सा सोचे Aap Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

आप थोड़ा सा सोचे Aap

आप थोड़ा सा सोचे aap

में नहीं बता सकता
कितना प्यार करता
दिल रुक सा जाता
यदि उसको एक मिनट भी नहीं देख पाता।

'पापा, में बहार पढ़ने जाउंगी '
ममी तुरंत बोल उठी, कैसे जाएगी
'मेरे बिना एक मिनट तो रहती नहीं'
वहां तो तेरेको कोई मिलेगा भी नहीं।

वो नहीं मानी
उसने जो थी ठानी
पर कैसे दूसरी लडकियां कह पाती होगी?
कितनी भी वो आँख का नगीना होगी!

आज मुझे दुःख हो रहा
जब खुलेआम उनका उत्पीड़न हो रहा
सरे आम रास्ते पर से उठा ले जाना
उसकी बुरी तरह से इज्जत लेकर जान से देना।

ये कैसा समाज है?
जो रखता तो जज्बात है
पर सुनता नहीं किसीकी बात है
पेट से हो औरत फिर भी लात मारता है।

ना करो झुलम इतना
रखो थोड़ा सा डरना
जगत जननी है वो आपकी
आपकी शानो शौकत और आबरू कुटुंब की।

बेटी के बिना घर क्या कोई घर है?
हर माँ बाप ज्यादा समझदार है
कुदरत का अनादर मत करो
लड़कियों पे ज्यादती मत करो।

जगता का कल्याण उनके हाथो मे है
स्वर्ग की सीडी वोही बता सकती है
आप थोड़ा सोच कर आगे बढे
माँ की जगह उसे देकर आप थोड़ा सा सोचे!

आप थोड़ा सा सोचे Aap
Tuesday, May 9, 2017
Topic(s) of this poem: poem
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0: 00 welcoem Swarnjeet Singh Bhutani II Like · Reply · 1 · Just now

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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