आपकी कृपा.. Aapki Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

आपकी कृपा.. Aapki

Rating: 5.0

आपकी कृपा
गुरूवार, ९ मई २०१९

काना में तुम्हारी दीवानी
बन बन दौड़ती रहूं मानो हिरणी
मन ना लागे मारो बातो में
नींद हो गई बेरन मानो रातो में।

यादें तो है एक सहारा
पर मन ना है कभी हारा
किशन है सबका प्यारा
सब को लगे है दिल से दुलारा।

गोपियों के संग रास रचाए
सब के मन में आशा बँधाए
मोरे श्यामअब रूबरू पधारो
तन तन रोम में ताजगी प्रसारो।

सबके चहेते
मन में छाए रहते
अब दुरी ना सहन हो पाए
मोरे आप घर कब लोटे के आए।

हम है अभिलाषी
देखने को आँखे तरसी
कब नहीं आपकी कृपा बरसी
यादे आप की मन में बसी।

हसमुख मेहता

आपकी कृपा.. Aapki
Thursday, May 9, 2019
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM

हम है अभिलाषी देखने को आँखे तरसी कब नहीं आपकी कृपा बरसी यादे आप की मन में बसी। हसमुख मेहता

0 0 Reply
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
Close
Error Success