आपने ही छा जाना है AApne hi chha jaan hai Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

आपने ही छा जाना है AApne hi chha jaan hai

आपने ही छा जाना है

चेहरा न यु छुपाओ
शाम ढल रही है
शरमा के यु ना जाओ
रात ढल रही है

अरमान इतने जगे है
सब दीखता हमें आगे है
पीछे का नजारा कुछ
और सा लगता है।

अब न दिखो तो हमें
अन्धेरा लगता है
दिये का उझाला
बस अंधियारा सा लगता है।

हमने भी मांग लिया है
दिल में समा लिया है
अब रूठकर कभी ना जाना
बन जाय जीवन एक मयखाना।

पीना है तो बस पीके रहेंगे
जहाँ को भी हाल बताके रहेंगे
यदि मान जाओतो जश्न मनाएंगे
रूठे दिल को आतिश भी दिखाएंगे।

जीने का उसूल हमें याद ना दिलाओ
कस्मे वादे देकर, दिल को ना जलाओ
एक आप ही के हाथ से, नैया चल पड़े है
हम भी आपकी आस मे, बस यूँही खड़े है।

वादा आपने भी किया है
खिलाफी का इल्जाम हमें नहीं देना है
हम तो है आँखे बिछाएं
बस अब तो आपने ही छा जाना है

Monday, October 6, 2014
Topic(s) of this poem: poem
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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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