आपसी मेल
बुधवार, ४ जुलाई २०१८
जब भी तुम मेरे पास आते हो
बदन में जनजनाटी लाते हो
फूलो सी महक फैला देते हो
किसी को भी मदहोश कर देते हो।
मेरा तुम को चाहना
ये तो था एक बहाना
तुम तो कई सालों से बसी हो मन में
अब तो जवाब दे दो हाँ में।
चाहा तो हमने भी था
पर इरादा थोपने का नहीं था
आपसी मेल से ही अंजाम देना था
और पवित्र सूत्र में बांधना था।
प्यार कुदरत का एक बेनमून उपहार है
हर किसी के लिए ये अनमोल मौक़ा भी है
इसमें जीत और हार कभी नहीं है
पर हताश हो जाना सही नहीं है।
किसी एक तरह से इसका इन्कार होना
और दूसरी और से स्वीकार होना
आफत को बुलाना होता है
प्यार में खटाश को लाना होता है।
हसमुख अमथालाल मेहता
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किसी एक तरह से इसका इन्कार होना और दूसरी और से स्वीकार होना आफत को बुलाना होता है प्यार में खटाश को लाना होता है। हसमुख अमथालाल मेहता