आयुष्य Aayushya Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

आयुष्य Aayushya

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आयुष्य

हम है सीधे सादे मनुष्य
नहीं है ज्यादा आयुष्य
फिर भी कामना करते है
प्रभु से हररोज प्रार्थना करते है।

कामना ना करना
मकसद के बिना जीना
पशु और आदमी के लक्षण बराबर है
जीना हमें है ओर दिखाना भी है।

हम खयालो का पुलिंदा नहीं बांधेंगे
किसी की राह में बाधा नहीं डालेंगे
जीवन समर्पित होगा
सब को अपना अपना हक़ होगा।

संकल्प नहीं
तो कायाकल्प नहीं
कायाकल्प नहीं तो कुछ चीज़ उपलब्ध नहीं
आदमी कभी अंध नहीं बन सकता।

जब तक आस है
और चलती सांस है
आसमान हमारा है
क्योंक समान विचारधारा है।

आयुष्य Aayushya
Tuesday, June 27, 2017
Topic(s) of this poem: poem
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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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