हम तो बस तुम्हारी आंखों की खुबसूरती
की तारीफ करते रहें
मगर उस समंदर की गहराई से
छिपी दर्द की मोतिओं को समेट न पाये ।
आवाज़ की जादु से तुम्हारे
बस खिचते आयें हम
सुनते रहें कविता शायरी
बस सुन न पाये तुम्हारे
दिल की दास्ताँ हम
आज भी हवाओं मे है
खुसबू तुम्हारे
खामोश हो गये
फुल पत्ते चांद सितारें
ऐसा लगता है तुम यहिं कहिं हो
जिंदगी की रफ्तार तो
अभी अभी शुरु हुई है
तुम इतने दूर कैसे जा सकती हो? ? ? ?
कैसे भुलें वह पल
जो साथ काटे थे हम
यादगार बनगया वह राहें
जहाँ थोडी देर साथ चलेथे हम
तुम बेवफा बिना बताये हाथ छोड दिया
फिर मिलने का वादा आसानि से तोड दिया
जिसे सुरीली संगीत कि तरह हम गुनगुना रहे थे
उसे तुम अधुरी कहानी साबित कर दिया ।
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