Aisa Hai Poem by hilal chandausvi

Aisa Hai

हमारे तुम न हो पाये हमें कोई न शिक़वा है।
मेरा दिल -कल भी तन्हा था मेरा दिल अब भी तन्हा है।

मैं तुझसे मिल नहीं सकता तू मुझसे मिल नहीं सकती-
मुहब्बत करने वालों पर ज़माने भर का पहरा हैं।

ये सारी मुश्किलें मेरा भला क्या कुछ बिगाड़ेंगी-
मेरे सर पर मेरे माँ बाप की नेकी की साया है।

ज़माने का कोई मंज़र मुझे अच्छा नहीं लगता-
मेरी तख़ईल मे हर वक़्त बस तेरा ही चेहरा हैं।

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