इक दीया जगमगाता रहा रात भर।
दिल की दुनिया सजाता रहा रात भर।
ग़म के तूफ़ान में दिल की दहलीज पर-
तू खड़ा मुस्कुराता रहा रात भर।
ख़्वाब आँखों में आये फ़ना हो गये-
तू मगर याद आता रहा रात भर।
आसमाँ पर बिछी नर्म कालीन पर-
चाँद क्यूँ छटपटाता रहा रातभर।
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