अलविदा
मंगलवार, २ अक्टूबर २०१८
अलविदा, अलविदा, अलविदा
कर देना मुझ को जहां से बीदा
पाया था साथ आपका सदा
रहे हम साथ साथ, भलेआन पड़ी थी विपदा।
दुःख तो दिल में हो रहा
गमगीनी के भंवर में डूबा रहा
दिल हो गया तन्हा
मन दर सा गया नन्हा।
संजोये थे थे हमने
हसीन और रंगीन सपने
इस में तुम्हारे भी थे अपने
मिलाया उसमे सुर आपने।
यहाँ रहता आना-जाना
इसका दस्तूर है जानामाना
हर कोई छोड़के जाता दुनिया फानी
कोई ना कर सकता मनमानी।
हसमुख अमथालाल मेहता
यहाँ रहता आना-जाना इसका दस्तूर है जानामाना हर कोई छोड़के जाता दुनिया फानी कोई ना कर सकता मनमानी। हसमुख अमथालाल मेहता
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