देश में अमन चैन
हम कब बनेंगे अच्छे नागरिक?
कब होगा सामूहिक बहष्कार?
उन चोरों का जो देश का धन लूटने में व्यस्त है
उनका अस्त अब नजदीक ही है।
कमाने के बहुत दिन है
साल्वे जी के लिए अभिमान है
सच्चे सपूत और अलग मापदंड
देश के लिए हो यदि पुकारने भी पड़े बंड।
देश के अंदर देश के ही दुश्मन
कहते है अदना सेवक पर नजर खदानपर
सब धन अपने घर में और गरीब मरे सुमसाम रास्तेपर
क्यों ना सरकार सोचे इसपर?
जो पकड़ाए उसकी पुरे सम्पति जप्त हो
राजकारण में पूरे कुटुंब का जमावड़ा समाप्त हो
पैसा या दौलत तुरंत सरकारी खजाने में हो
रोज सुनवाई हो और देशद्रोहियों को सजा हो।
जिस के पास देखो अरबों पर बैठे है
खाने को दो रोटी चाहिए फिर भी अनर्गल संपत्ति ऐठे है
कितना धन और कितना ऐश्वर्य!
कहाँ करेंगे इसका व्यय?
अब होड़ लगी है बुरा दिखाने की
सरकार के लिए मुसीबत खड़ी करने की
डाका डलवाना, सरेआम बेइज्जती करने की
सब के सामने अपने कार्य में असफल होने की।
बस पुराने रीती रसम चालू रखने है
औरतों को दबाकर बाहर के दरवाजे दिखाने है
नहीं होने देना जीवन में कोई बदलाव
पैसे देकर करवाते है जवानो पर पथराव।
ऐसे दुश्मनों को कालेपानी की सजा दो
अपने राज्य के बाहर मजा चखा दो
ये सब उत्पात कम हो जाएगा
देश में अमन चैन वापस आ जाएगा
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ऐसे दुश्मनों को कालेपानी की सजा दो अपने राज्य के बाहर मजा चखा दो ये सब उत्पात कम हो जाएगा देश में अमन चैन वापस आ जाएगा