अपना बनाना
अपना जब पराया लगने लगे
तब ही सोचने लगेंगे
ये क्या हो रहा है जीवन में?
आंधी का संकेत क्यों मिल रहा है गुलशन में?
थम जाने दो तूफ़ान
ना मचाना कोहराम
धीरे से सोचना है हमारा काम
फिर लगने लगेगी सुनहरी शाम।
हो सकता है नजर का धोखा
आँखों ने जो देखना था वो नहीं देखा
मन ने भी अपना रास्ता चुन लिया
बस फिर तोआंधी और तूफ़ान ने जगह ले लिया।
ये वजह नहीं हो सकती
नजरे बार बार धोखा नहीं खाती
अपनों पर प्यार ही है बरसाती
रोती प्यार से और हरखाती।
मेरे अपने अपने है
जिनको मैंने अपनाएँ है
गले से लगाकर पाला है
तभी तो इतना बोलबाला है।
ना रखेंगे कभी ऐसी सोच
जो करवाएगी अपनों से संकोच
होने तो बस हँसके जीना है
दूसरों को अपना बनाना है।
ना रखेंगे कभी ऐसी सोच जो करवाएगी अपनों से संकोच होने तो बस हँसके जीना है दूसरों को अपना बनाना है।
Poet Priyatosh Das Thank u Sir. Like · Reply · 1 · 4 hrs
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem
बहुत सुंदर कहा गया है. अक्सर ऐसा होता है कि हम कुछ सोचते हैं और वास्तविकता कुछ और होती है. इसी कारण बहुत से संबंधों में दरार पैदा हो जाती है. श्रेष्ठ अभिव्यक्ति. ये क्या हो रहा है जीवन में /....हो सकता है नजर का धोखा आँखों ने जो देखना था वो नहीं देखा /....मेरे अपने अपने है