अपनी दुर्गती
जीवन में एक ही हो आस
जोई चीज़ को ना बनाए ख़ास
आसक्ति ही पतन का कारण है
बाकी चीजों का सोचना ही अकारण है।
हम सभी अवगुणो से लबालब भरे है
स्वार्थ से लिप्त जीवन नहीं सोचता है
हर मौके की तलाश में भटकता है
अपनी ही मौज में राचता है।
हिरन जैसे रेगिस्तान में प्यास से भटकता है
ठीक वैसे ही मनुष्य सोचता रहता है
उसके हाथ सिवाय असफलता के कुछ नहीं लगता
फिर सारी दुनिया को दुश्मन समजकर कोसता।
जो कभी साथ नहीं देता उसको समझता है अपना
जल्दी में है उसका हवन करने को नामना
हर तरह के हथकंडे अपनाना है उसकी मज़बूरी
नहीं है उसको किसी बायत की सबूरी।
जीवन धन्य कैसे होगा?
जब अपनी मनमानी करता रहेगा
हर चीज को तुच्छ समझकर अवगणना करेगा
एक दिन उसके खोदे हुए खड़े में खुद गिरेगा।
ना हाथ कुछ आएगा और नाही काम आएगा
जीवन युंही समाप्त हो जाएगा
पछताने से काम नहीं बनेगा
संसार को छोड़ने ले वक्त अपनी दुर्गती का एहसास करेगा।
जीवन में एक ही हो आस
जोई चीज़ को ना बनाए ख़ास
आसक्ति ही पतन का कारण है
बाकी चीजों का सोचना ही अकारण है।
हम सभी अवगुणो से लबालब भरे है
स्वार्थ से लिप्त जीवन नहीं सोचता है
हर मौके की तलाश में भटकता है
अपनी ही मौज में राचता है।
हिरन जैसे रेगिस्तान में प्यास से भटकता है
ठीक वैसे ही मनुष्य सोचता रहता है
उसके हाथ सिवाय असफलता के कुछ नहीं लगता
फिर सारी दुनिया को दुश्मन समजकर कोसता।
जो कभी साथ नहीं देता उसको समझता है अपना
जल्दी में है उसका हवन करने को नामना
हर तरह के हथकंडे अपनाना है उसकी मज़बूरी
नहीं है उसको किसी बायत की सबूरी।
जीवन धन्य कैसे होगा?
जब अपनी मनमानी करता रहेगा
हर चीज को तुच्छ समझकर अवगणना करेगा
एक दिन उसके खोदे हुए खड़े में खुद गिरेगा।
ना हाथ कुछ आएगा और नाही काम आएगा
जीवन युंही समाप्त हो जाएगा
पछताने से काम नहीं बनेगा
संसार को छोड़ने ले वक्त अपनी दुर्गती का एहसास करेगा।
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ना हाथ कुछ आएगा और नाही काम आएगा जीवन युंही समाप्त हो जाएगा पछताने से काम नहीं बनेगा संसार को छोड़ने ले वक्त अपनी दुर्गती का एहसास करेगा।