अपनी ही मनमानी
मंगलवार, २९ जनवरी २०१९
नहो सोचा था में मजाक बनके रह जाऊंगा
नहीं सोचा था अपनो के बिच बेगाना हो जाऊंगा
कोशिश करी लाख पर कोई कारी नहीं आई
जीवन में कोई भी तबदीली नहीं आई।
जितनी भी कोशिश की, सब बेकार गई
सद्भावना की कोशिश दुर्भावना में बदल गईं
अच्छी-खासी हंसती सूरत रोतल हो गई
ख़ुशी को तो छोडो, गम की बारिश ले आई।
जीवन की यही कठिनाई है
"सच को आंच नहीं "पर दुःख दे जाती है
अच्छी भावना की कोई कदर नहीं
सच्चे इंसान की यहां कोई किम्मत नहीं।
कहते है"नेकी कर और कुए में डाल"
अपनी जान को मुसीबत में ना डाल
भलाई का आज जमाना नहीं
पर सच्चाई को कभी छोड़ना नहीं।
यदि ऐसा ही हाल रहा
तो फिर हमारा उद्धार कहाँ?
यदि हर कोई बुराई का रास्ता चुन लेगा
फिर तो अपनी ही मनमानी चलाएगा।
हसमुख मेहता
यदि ऐसा ही हाल रहा तो फिर हमारा उद्धार कहाँ? यदि हर कोई बुराई का रास्ता चुन लेगा फिर तो अपनी ही मनमानी चलाएगा। हसमुख मेहता
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