अपनी राह
शनिवार, ६ अप्रैल २०१९
पता नहीं कहाँ गया अमन
क्यों उज़ड़ गया मेरा चमन?
ना है आराम और ना है मन का चैन!
क्यों हो रहा मेरे साथ ये खेल!
मान की सब को गुजरना पडता है
ये टेढ़ी राह से
बनाना पड़ता है रास्ता खेलदिली से
पर नहीं कटती राह आसानी से।
जीवन है संग्राम
नहीं होता सबका अच्छा अंजाम
सादा और सत्यवान जित जाता
बेईमान हमेशा पीडाता।
जीवन को समझना है कठिन
राह भी होती मुश्किल
सब को सुख़ नहीं मिलता
ज्यादातर लोग हमेशा सुख के लिए झंखता।
आए है तो जीना पडेगा
सब के साथ रहना पडेगा
बुरा और भला, हमें ही देखना है
अपनी राह हमें ही खोजना है।
हसमुख मेहता
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bhadresh bhatt 1 Edit or delete this Like · Reply · 1m