अरसिक ही रहे Arasik Hi Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

अरसिक ही रहे Arasik Hi

अरसिक ही रहे

हमारा दिल कभी नहीं मचला
बस वो तो बेफिक्र होकर चला
ना किसी का भय और नाही किसी का डर
वो तो रहा हरदम नीडर।

किसी ने हमारी सूरत पे निगाह नहीं डाली
हमने भी की नहीं हरकत बचकानी
दिल को सलामत रखा अपने बस में
कभी नहीं होने दिया बेबस राह में।

दिल में चाह जरूर थी
मन्नत भी मानी थी
पर चाहकर भी कुछ नसीब नहीं हुआ
हमारा सपना कभी सच नहीं हुआ।

हमारी आँखे कभी चकाचोंग नहीं हुई
किसी पे निगाहें पड़ने के बाद भी विचलित नहीं हुई
पर अब लग रहा है, ऐसा क्यों नहीं हुआ?
प्यार का बहाव हमारी ओर क्यों नहीं आया?

निगाहें तो जरूर उठी होगी
हमारी और आकर्षित भी हुई होगी
दिल में आहे भरकर निराश भी हुई होगी
पर हम ठहरे अकेली जान, बात मालुम नहीं हुई होगी।

उन्होंने खूब कोसा होगा दिल से
पर नहीं हो पाया मेल किसी से
क्या करे हम निर्मोही ही रहे
धड़कन तो रही पर अरसिक ही रहे।

अरसिक ही रहे Arasik Hi
Wednesday, December 7, 2016
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 07 December 2016

उन्होंने खूब कोसा होगा दिल से पर नहीं हो पाया मेल किसी से क्या करे हम निर्मोही ही रहे धड़कन तो रही पर अरसिक ही रहे।

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Mehta Hasmukh Amathalal 08 December 2016

xwelcome manish tiwari Unlike · Reply · 1 · Just now 8 Dec by

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Mehta Hasmukh Amathalal 07 December 2016

welcoem jairam tiwari Unlike · Reply · 1 · Just now 7 Dec by

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Mehta Hasmukh Amathalal 07 December 2016

l xwelcome shiv sharma Unlike · Reply · 1 · Just now 7 Dec by

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Mehta Hasmukh Amathalal 07 December 2016

gurumeet kohli Unlike · Reply · 1 · Just now 1 hour ago

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Mehta Hasmukh Amathalal 07 December 2016

xwelcome AnjumKanpuri Unlike · Reply · 1 · Just now · Edited 1 hour ago by

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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