जरा ठहर भी जा ऐ जिंदगी यू मुझे परेशान ना कर! Poem by Ashish Singh

जरा ठहर भी जा ऐ जिंदगी यू मुझे परेशान ना कर!

Rating: 5.0

जरा ठहर भी जा ऐ जिंदगी
यू मुझे परेशान ना कर
हम खुद में ही उलझे हुए हैं
अभी तू भी यू मुझसे सवाल ना कर!

तेरे सारे सवालों के जवाब भी देगें हम.
जो जी लिए है पल
उनका हिसाब भी देगें हम!
बस अभी तू मुझे हैरान ना कर.
जरा ठहर भी जा ऐ जिंदगी यू मुझे परेशान ना कर!

जरा भी फर्क नहीं है
तुझमें और इस जमानें में.
वो भी मुझे बदनाम कर रहा है
और तू भी बदनाम करती है!
माना कि तुझे समझ नहीं पा रहा हूँ मैं.
पर मुझे तू यु बदनाम ना कर!
जरा ठहर भी जा ऐ जिंदगी यू मुझे परेशान ना कर.!

माना कि इल्जाम हैं बहुत मुझ पर
रूसवा हूँ मैं जमानें के बीच में.
पर गलतफहमियां भी बहुत हैं
मेरे और जमानें के बीच में!
तू तो कुछ रहम खा मुझपे
तू भी यू मुझे बेनकाब ना कर.
जरा ठहर भी जा ऐ जिंदगी यू मुझे परेशान ना कर!
जरा ठहर भी जा ऐ जिंदगी यू मुझे परेशान ना कर!

© Mγѕτєяιουѕ ᴡʀɪᴛᴇR✍️

COMMENTS OF THE POEM
Anamika Singh 17 February 2023

Bahut Hi sahi likha hai

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