खामोशियाँ चीर अंदर का शोर बाहर निकालोगे क्या
मेरी चीखें हवाओं में उछालोगे क्या
सीने में इतनी जलन रखते हो मेरे ख़िलाफ़
मेरे नसीब का लिखा भी मुझ से चुरा लोगे क्या
किसी दिन करेगा वो कदर तुम्हारी मोहब्बत की
झूठी उम्मीद के सहारे उम्र बिता लोगे क्या
दीवारों को सुनाओ या लिख दो कागज़ पर
या फिर दिल की बातें दिल में ही छुपा लोगे क्या
हाथ तो दूर, आप तो नज़रें मिलाना भी छोड़ गए
अलग हो गए तो दरमियाँ दूरियाँ बढ़ा लोगे क्या
तन्हाई, दर्द, अश्क़ ये मेरे हिस्से में आए हैं
मेरे हिस्से की जिम्मेदारियां तुम संभालोगे क्या
लिख-लिख कर नाम भर दी खाली किताबें सारी
याद-ए-महबूब में घर को किताब खाना बना लोगे क्या
तेरे दिल तक पहुँचे हम मगर तेरे आँगन तक नहीं
तो ये सेहरा किसी और को पहना दोगे क्या
© Mγѕτєяιουѕ ᴡʀɪᴛᴇR✍️
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Beautifully Written ✍️👌❤️😘